DEVPRAYAG SANGAM, जहाँ से विश्व प्रसिद्ध गंगा नदी बनती है। 


                                                            कैसे हो दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से एक बार मेरे इस नए ब्लॉग में। हैडिंग पढ़ कर शायद आप लोग भी सोच में पढ़ गए होंगे की शायद HEADING गलत दाल दी मैंने, क्योंकि सभी जानते हैं कि गंगा नदी तो गंगोत्री से निकलती है। तो आप पूरा आर्टिकल पढ़ते -2 समझ जायेंगे की असल बात क्या है। आपको DEVPRAYAG के बारे में पूरी बात एक दम विस्तार से समझाया जायेगा।  

अलकनंदा और भागीरथी का संगम, देवप्रयाग 


देवप्रयाग समुद्र तल से करीब 2700 फ़ीट की ऊंचाई पर स्तिथ हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थस्थानों में से एक है। देवप्रयाग एक छोटा सा शहर है जो उत्तराखंड में ग़ढवाल मंडल के अंतर्गत आता है, जहाँ अलकनंदा और भागीरथी नदियों का संगम होता है।  और मैंने आपको अपने पिछले ब्लॉग "कर्णप्रयाग" में समझाया था की प्रयाग किसे कहते हैं, अगर फिर भी आपको प्रयाग के बारे में नहीं पता तो फिर से आपको समझा देता हूँ, प्रयाग माने संगम, जहाँ नदियों का संगम होता है उसे प्रयाग कहते हैं। और देवप्रयाग हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध पंच प्रयागों में से एक और सबसे आखिरी प्रयाग है। देवप्रयाग के बारे विकिपीडिआ में भी काफी जानकारी है। 


देवप्रयाग का इतिहास व पौराणिक कथाएं -

देवप्रयाग के बारे में एक मान्यता यह भी है की देव शर्मा नामक ऋषिमुनि ने यहाँ भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी जिससे खुश होकर भगवान ने वरदान दिया की इस स्थान की प्रसिद्धि तीनो लोकों में होगी और ये स्थान हमेशा तुम्हारे नाम से जाना जायेगा, इसी वजह से इस स्थान का नाम देवप्रयाग पड़ा।  एक मान्यता के अनुसार जब राजा भगीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारने के लिए मनाया तो गंगा के साथ-2 समस्त हिन्दू धर्मं के भगवान भी पृथ्वी पे उतर आये और देव प्रयाग को ही उन्होंने अपना रहने का स्थान चुना, जो की गंगा की जन्मभूमि भी है। 

1. देव प्रयाग भगवान राम से जुड़ा एक विशिष्ट धार्मिक स्थान है, माना जाता है की लंका में विजय प्राप्त करके जब भगवान राम वापस आये तो उन्हें ब्राह्मण हत्या यानी 'रावण वध' के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि मुनियों ने ही सुझाव दिया की उन्हें भागीरथी और अलकनंदा नदी के संगम में तपस्या करने से ही ब्राह्मण वध के आरोप से मुक्ति मिल सकती है। उसके बाद भगवान राम ने उस स्थान पर एक शिला पर बैठ कर लम्बी अवधि तक कठोर तपस्या की, जिसके प्रमाण आज भी देवप्रयाग में पुरोहित दिखाते हैं, जिसमे एक शिला पर ऐसे निशान पाए जाते हैं जैसे कोई लम्बे समय तक पालथी मार कर उसपे बैठा हो। 

2. एक कथानुसार जब वनवास के बाद जब एक धोबी ने माता सीता पर संदेह किया तो भगवान राम ने उन्हें त्यागने का मन बनाया और अपने भाई लक्ष्मणजी  को सीताजी को वन में छोड़ के आने को कहा। जब लक्ष्मण जी ने सीता जी को तपोवन में छोड़ा तो सीताजी ने जिस स्थान पर अपने रहने के लिए कुटिया बनाई वो स्थान देवप्रयाग से चार किलोमीटर आगे पुराने बद्रीनाथ वाले रास्ते पर है और उस गांव का नाम सीता विदा पड़ा। और जहाँ उन्होंने अपने लिए कुटिया बनाई उसे सीता कुटी या सीता सैंण भी कहा जाता है। 

3. देवप्रयाग में गंगा माँ के मंदिर के पास ही संगम के पास एक छोटी सी गुफा है, जिसे हनुमान गुफा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की इस जगह पर हनुमान जी आये थे और संगम में स्नान करने के बाद उन्होंने भगवान राम का ध्यान लगाया था।  यहाँ पर वर्तमान में एक चट्टान पर हनुमान जी की मूर्ति भी उभरी हुई है। 

भागीरथी नदी 


देवप्रयाग की आश्चर्यजनक बातें -

1. देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र भी कहा जाता है, यहाँ एक भी कव्वा (कौआ ) नहीं दिखाई देता, जो अपने आप में बहुत आश्चर्य जनक है। 

2. देव प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर भगवान राम के पद चिन्ह जैसे निशान भी दिखाई देते हैं।

3. विश्व प्रसिद्ध गंगा नदी का जन्म यहीं से होता है, इससे पहले तक अलकनंदा और भागीरथी नदी नाम से ही जानी जाती है। देव प्रयाग के संगम के बाद ही आगे चले के इस नदी का नाम गंगा माना जाता है। 

4. ग़ढवाल की धार्मिक मान्यतानुसार भागीरथी नदी को "सास" और अलकनंदा नदी को "बहु" का दर्जा मिला हुआ है। 

5. देवप्रयाग आज के समय में काफी अच्छी सड़को से लैस हो चूका है जिससे यहाँ आने जाने में कोई कठनाई नहीं होती है। 

अलकनंदा नदी 


देवप्रयाग में देखने लायक जगह -

वैसे तो देवप्रयाग नाम सुनते ही मन में ध्यान आ जाता है की यह वो जगह है जहाँ से संगम होकर गंगा नदी बनती है, तो सबसे पहले तो यहाँ पे देखने लायक जो जगह है वो अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी का संगम ही है। 

उसके बाद आप वहां के मंदिर के दर्शन कर सकते हैं जो काफी प्राचीन और अद्भुत हैं। इन मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है की वो 10000 साल पुराना है। यह मंदिर चार अन्य छोटे-2 मंदिरो अन्नपूर्णा मंदिर, त्रसिंह , गरुड़ महादेव और हनुमान गुफा से घिरा हुआ है। 

इसके अलावा चंद्रवदनी मंदिर, दशरथ शिला मंदिर , डंडा नागराज मंदिर भी अपने आप में प्रमुख आकर्षण स्थल हैं। 




देवप्रयाग कब जाएँ -

देवप्रयाग समुद्र तल से 2700 फ़ीट की ऊंचाई पर स्तिथ है, जिस वजह से गर्मियों में मौसम सुहावना रहता है और सर्दियों में थोड़ा ठण्ड रहती ही है, पर आप सर्दियों में भी जा सकते हैं। बस जून से लेकर सितम्बर तक जाना हो तो थोड़ा देख भाल कर जाएँ क्युकी आप सभी को पता है बरसातों में पहाड़ो पर सफर करना थोड़ा खतरों से भरा हो सकता है। 



रघुनाथ मंदिर 

देव प्रयाग कैसे पहुंचे -

सड़क मार्ग द्वारा- देव प्रयाग तक वैसे तो देश के किसी भी कोने से सड़क मार्ग द्वारा पंहुचा जा सकता है, देव प्रयाग चार धाम यात्रा परियोजना के अंतर्गत आता है तो वर्तमान में यहाँ की सड़कें काफी चौड़ी और अच्छी हो चुकी हैं।  Hotels in Devprayag यहाँ रहने के लिए भी आपको काफी hotels आसानी से मिल जायेंगे। 

रेल मार्ग द्वारा - देवप्रयाग तक फिलहाल रेल मार्ग द्वारा नहीं पंहुचा जा सकता, पर निकट भविष्य में जैसा मैंने आपको पिछले ब्लॉग में जानकारी दी थी की रेल लाइन कर्णप्रयाग तक जा रही है, तब रेल द्वारा देवप्रयाग पंहुचा जा सकेगा। Rishikesh to Devprayag, ऋषिकेश जो देवप्रयाग से करीब 70 किलोमीटर दूर है, वही सबसे पास का रेलवे स्टेशन है देवप्रयाग तक पहकहने का, वहीँ से आपको आसानी से पुरे ग़ढवाल जाने के लिए बस और टैक्सी आराम से मिल जाएँगी। 

हवाई मार्ग द्वारा - देवप्रयाग पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट देहरादून में जॉली ग्रांट में है, वहीँ से आपको देवप्रयाग तक जाने के लिए आराम से टैक्सी की सेवाएं मिल जाएँगी। 



और आखिर में -

आशा करता हूँ आपको अन्य BLOG की तरह मेरा यह जानकारी भरा ब्लॉग भी पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप नीचे COMMENT BOX जाके अपने सवाल कर सकते हैं और यदि आप कोई सुझाव देना चाहते हैं तो वो भी आप बेझिझक दे सकते हैं।  मुझसे संपर्क करने के लिए निचे मैं अपना INSTAGRAM ID  और YOUTUBE CHANNEL  लिंक भी दे रहा हूँ। नीचे जहाँ SHAAD MANIAC BIKER लिखा हुआ दिख रहा है उसपे क्लिक करें। और नीचे मैंने आपको यूट्यूब वीडियो भी दी है उसे भी जाकर आप देवप्रयाग के ड्रोन से लिए हुए वीडियो फुटेज देख सकते हैं। 





मिलता हूँ फिर से आपसे जल्द ही एक नयी जगह की जानकारी के साथ, तब तक आप सब अपना ध्यान रखें इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और सेहतमंद रहे। 

 



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