स्वागत है आपका मेरे इस नए ब्लॉग में, आज कल गरतांग  गली (या गड़तंग गली) नाम काफी मशहूर हो रहा है और काफी लोग इसके बारे में जानना भी चाहते हैं. मैंने भी सुना था इसके बारे में और इसके बारे में और अधिक जानकारी निकालने पर मुझे ये जगह काफी अच्छी लगी. और फिर इसके बाद मैं 12  नवंबर 2021  में यहाँ अपनी बाइक से भी होकर आया. तो चलिए आज आपको भी गरतांग गली के बारे में विस्तार से बताते हैं. 


गरतांग गली का इतिहास -  

गरतांग गली मानव निर्मित लकड़ी के पुल (सीढ़ियों) को कहा जाता है जो भारत की आज़ादी से पहले भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रह चुकी है। इस रास्ते से पहले के व्यापारी भारत से तिब्बत व्यापर करने आया-जाया करते थे। पेशावर से आए पठानों ने आज से 150 साल पहले इस लकड़ी के पुल का निर्माण किया था। 

आज़ादी से पहले उत्तरकाशी जिले से नेलांग वैली होते हुए तिब्बत के साथ व्यापर करने के लिए ये ट्रेक बनाया गया था, जिसमे भैरोंघाटी में एक खड़े पहाड़ की चट्टान पर लोहे की रोड गाड़कर उसपे लकड़ी के तख्ते बिछा कर एक पुल बनाया गया था। इस पुल से ऊन, नमक, चमड़े से बने कपडे इत्यादि के सामान लाया करते थे। इस पुल से नेलांग घाटी का आकर्षक दृश्य दिखाई देता है। 1962 में भारत चीन युद्ध के वजह से भारत सरकार द्वारा इस रास्ते व पुल को आम नागरिकों व पर्यटकों के आवाजाही के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।

यहाँ के ग्रामीणों व नागरिकों को साल में एक ही बार एक निश्चित प्रक्रिया पूरी करने के बाद पूजा अर्चना करने की इजाज़त दी जाती रही थी। इसके बाद 2015 में केंद्र सरकार ने फैसला लेते हुए पर्यटकों के लिए नेलांग घाटी जाने व गरतांग गली के इस लकड़ी के पुल को फिर से खोलने का निर्णय लिया और मरम्मत का काम शुरू करवाया। इस वर्ष 2021 जुलाई में 64 लाख रूपए खर्च कर इस पुल का पुनर्निर्माण कर दुबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। 

गरतांग गली के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिख रही वीडियो को देख सकते हैं जहाँ मैं अपने दोस्तों के साथ 12 नवंबर 2021 में गया था। आप भी ये वीडियो देखें जिसमे आपको गरतांग गली की लकड़ी की सीढ़ी और साथ में और खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगे 
 
उत्तरकाशी 

गरतांग गली कहाँ है -

गरतांग गली, उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर तथा गंगोत्री धाम से मात्र 10  किलोमीटर पहले पड़ता है. यह नेलांग घाटी में एक बड़े पहाड़ के सहारे, खाई के ऊपर बना एक लकड़ी का पुल है।  इस पुल को एक खड़ी चट्टान में लोहे की रोड गाड़ कर उसपर लकड़ी के फत्ते बिछा कर सीढ़ीनुमा बनाया गया है। यह पुल 11000 फ़ीट की ऊंचाई पर है और इसके नीचे जाड़ गंगा बहती हुई दिखाई देती है। इसके पास ही लंका पुल भी है जो जाड़ गंगा के ऊपर बना सबसे ऊँचा पुल भी है। 



गरतांग गली के ट्रेक से लंका पुल दिखाई देता हुआ 


गरतांग गली कैसे पहुंचे -

गरतांग गली पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको उत्तरकाशी पहुंचना होगा।  उत्तरकाशी के लिए देहरादून से बस इत्यादि चलती है।  उत्तरकाशी देहरादून से करीब 188 किलोमीटर दूर है।  सड़क मार्ग द्वारा देहरादून बस अड्डे से उत्तरकाशी के लिए बस ली जा सकती है, यदि आप अपने वाहन से आएंगे तो देहरादून से ऋषिकेश होते हुए या फिर देहरादून से मुसरी - चम्बा होते हुए भी उत्तरकाशी पंहुचा जा सकता है। 

रेल माध्यम से जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून या ऋषिकेश है जहाँ तक आप पूरे भारत से रेल द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून में निकटतम हवाई अड्डा है।  गरतांग गली में सिर्फ लकड़ी का पुल ही देखने लायक जगह है और वहां रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है तो आपको एक रात हर्षिल में रुकना पड़ेगा। उसके बाद ही आप दूसरे दिन सुबह- सुबह गरतांग गली को जाइये ताकि आप ट्रेक भी कर सकें और वापस शाम होने तक हर्षिल तक आराम से आ सकें।

वैसे तो ट्रेक सिर्फ 2 किलोमीटर लम्बा है, पर आपको अपने साथ पानी की बोतल और खाने के लिए कुछ चॉकलेट्स जरूर साथ रख लेनी चाहिए। अपने साथ आधार कार्ड जरूर रखें क्योंकि गरतांग गली की एंट्री बिना आधार कार्ड के संभव नहीं हो सकती।  ये भी ध्यान रखें की ये अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर के पास है जो एक अति संवेदनशील जगह है।  


लंका पुल , भैरोंघाटी 


गरतांग गली कब जाएँ -

गरतांग गली जाने का सही समय सितम्बर से नवंबर तथा मार्च से जून तक है।  इस समय मौसम सुहावना रहता है। जैसा की सभी को पता है की गरतांग गली काफी ऊंचाई पर बना हुआ है तो यहाँ ठंडियों में काफी ज्यादा ठण्ड पड़ती है और बरसातों में पहाड़ो में बारिश भी काफी ज्यादा होती है।  इसीलिए यहाँ जाने का सबसे सही समय सितम्बर से नवंबर तक तथा मार्च से जून तक ही है। गरतांग गली में मौसम हमेशा ठंडा ही रहता  है तो आप जब भी जाएँ तो अपने साथ कुछ गरम कपडे जैसे गरम मोज़े, ऊनी टोपी व जैकेट  जरूर साथ ले जाएँ। 

गरतांग गली जाने से पहले आपको शायद एक रात हर्षिल में भी गुजारनी पड़ सकती है और हर्षिल में भी तापमान काफी कम रहता है।  मैं 12 नवंबर को जब गया था तब दूसरी सुबह हमारे होटल सामने से छोटा सा नाला  बह रहा था जिसका पानी काफी हद तक जम चुका था।  इसी बात से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं वहां की ठण्ड का। 


कुछ इस तरह था सुबह का ठंडा मौसम 


गरतांग गली जाना हो तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें -

बेशक गरतांग गली हमारे लिए एक हैरतअंगेज जगह हो सकती है और यहाँ अब कोई भी जा सकता है, पर गरतांग गली जाने पर आपको सरकार द्वारा लागू किये गए कुछ नियम मानने पड़ेंगे, तथा अपनी तरफ से भी आप लोग कुछ बातों का ध्यान रखकर इस जगह की खूबसूरती को बनाये रख सकते हैं।  

  • COVID -19 के नियम का पालन करना अनिवार्य है। 
  • एक बार में अधिकतम 10 लोग ही लकड़ी के पुल पर जा सकते हैं। 
  • लकड़ी के पुल  पर जाते समय आपस में कम से कम 1 मीटर की दुरी बना के चलें।
  • सीढ़ी में झुण्ड बना के आवागमन न करें और ना ही बैठें । 
  • सीढ़ियों की रेलिंग से नीचे ना झांकें और अति उत्साहित हो कर सीढ़ी में उछल कूद न करें । 
  •  स्पीकर साथ ले जा कर सीढ़ियों में नाच गाना न करें। 
  • अगर आप अपने साथ पानी की बोतल और खाने के लिए कुछ सामान ले जा रहे हैं तो उसे सिर्फ कूड़ेदान में ही फेकें, इधर उधर फेक कर गन्दगी न करें। 
  • अपने साथ चलने वाले सभी सदस्यों को चाहिए की वो एक दूसरे का खास तौर से ध्यान रखें और अकेले आगे न बढ़ें। 
  • ट्रेक करते समय जंगली जानवरों इत्यादि का भी ध्यान रखें की वो आपके रस्ते में न आ जाए ।
  • छोटे बच्चे व बुगुर्ज लोगो को यहाँ लेकर ना आएं, उनके लिए ये ट्रेक थोड़ा कठिन होगा। जिनको सांस सम्बंधित बीमारी, सांस फूलना या ऊंचाई से डरने वाले लोग भी यहाँ जाना AVOID कर सकते हैं।
  • भारतीय पर्यटकों के लिए एंट्री फीस 150 रूपए व विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रूपए एंट्री फीस है। 
  • लकड़ी के पुल पर कुरेद कर या पेन, मार्कर से अपने व अपनी मेहबूबा का नाम न लिखें, तथा जितना हो सके ऐसी अमूल्य धरोहर को साफ़ व स्वच्छ बनाये रखने में सहयोग करें। 
  • अपने साथ कीमती सामान लेके न चलें और ट्रेक के दौरान जितना कम सामान आपके पास होगा उतना आपके लिए सुविधाजनक होगा। 
  • शरारती तत्वों द्वारा लिखा गया नाम 
    हर जगह पुल पर इस तरह से नाम लिखे गए हैं 



गरतांग गली का सार-

आशा करता हूँ आपको ये ब्लॉग पसंद आया होगा, अगर आपके मन में गरतांग गली को लेके कोई भी अन्य सवाल हो तो बेझिझक नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें, और अपने सवालों से मुझे भी रूबरू कराएं।
अंत में बस मैं यही कहना चाहूंगा की आप जिस भी जगह घूमने जाएँ कृपया करके वहां गन्दगी फैला के या ऐसे मार्कर इत्यादि से नाम लिख के अपने असभ्य होने का सबूत पेश न करें।  ये पर्यटक जगह आपकी अपनी जगह है, कृपया इसे इस तरह से ख़राब करके उसे बर्बाद न करें। बहुत दुःख होता है लोगो की ऐसी हरकतें व बेवकूफियां देख कर कि लोग बिना वजह ऐसा करते हैं। 









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